अयोध्या, 25 जून, 2013: भारत सरकार आतंकियों के सम्मुख घुटने टेक चुकी है जबकि आतंकी हमारे सैनिकों और नागरिकों के सर काटकर उपहार के रूप में भेज रहे हैं। इस अपमान का सरकार पर मानो कोई असर ही नहीं हो रहा है। जेहादियों के हौंसले बढ़ते चले जा रहे हैं और उन्होंने जिस प्रकार हमारे सैनिकों पर आक्रमण किया है, समाचार के अनुसार 8 सैनिक शहीद हो चुके हैं और अनेक घायल अस्पताल में पड़े हैं। मुस्लिम परस्त भारत सरकार का अगर यही रवैया बना रहा तो भारत को खण्डित करने में उसे किंचित भी संकोच नहीं होगा। ऐसी सरकार का बना रहना भारत के लिए खतरे की घण्टी है। सीमा और सम्मान की रक्षा के लिए सेना सरकार का महत्वपूर्ण अंग है और उसके द्वारा आतंकवादियों के विरुद्ध जबावी कार्यवाही पर रोक लगाना, यह राजधर्म और दण्ड विधान के एकदम विपरीत है। पूरे समाज को इन शहीदों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करनी चाहिए।
अब ऐसी परिस्थिति के निर्माण करने का समय आ गया है जब सरकार को आतंकवादियों के विरुद्ध जबावी कार्यवाही करने के लिए जनता मजबूर कर दे। यही निष्क्रियता उत्तराखण्ड के प्राकृतिक आपदाओं के समय भी देखने को मिली है। सरकार की इसी निष्क्रियता के कारण हजारों यात्रियों को मृत्यु का ग्रास होना पड़ा। सरकार का निकम्मापन देश को महासंकट मेें धकेल देगा। यह आपदा ऐसे ही नहीं आई है, हमारे पहाड़ों को खोखला कर दिया गया है। हमारे हिमालय के साथ जिस बर्बरता का व्यवहार हुआ, हमारी पवित्र भागीरथी, मंदाकिनी और अलकनन्दा को प्राणहीन करने के जो जघन्य कार्य हुए हैं और धारीदेवी मन्दिर को सदा के लिए समाप्त करने का जो प्रयत्न हुआ है और तपस्वियों एवं बड़े-बड़े सन्त महापुरुषों, शंकराचार्यों के गुहार को अनसुना किया गया है, उसी का यह परिणाम आज वहाँ के निवासियों एवं तीर्थयात्रियों को भोगना पड़ा है। देशभर से आया हुआ तीर्थयात्री सरकार की इस निष्क्रियता को माफ नहीं करेगा।
इस सरकार से हम कभी भी आशा नहीं कर सकते कि श्रीराम जन्मभूमि पर रामलला का भव्य मन्दिर 70 एकड़ भूमि में बन सके। हम कब तक कपड़े के तम्बू में बैठे रामलला के अपमान सहते रहेंगे। पूरे हिन्दू समाज को एक विराट आन्दोलन के लिए खड़ा होना ही पड़ेगा। यह सरकार शक्ति की भाषा समझती है, उसी भाषा में ही हमें सरकार को समझाना पड़ेगा।