New Delhi : Swadeshi Jagran Manch organised a pre-budget discussion meeting at Deendayal Research Institute on 7th July 2014. Renowned economist Dr. Bharat Jhunjhunwala, Prof. Bhagwati Prakash Sharma, Vice-Chancellor, Pacific University Udaipur, Renowned Journalist Dr. R. Balashankar and Prof. Shivaji Sarkar were the panelist in this discussion. Though the discussion was organised on the subject of forthcoming General Budget 2014-15, panelist apart from discussing the expectations and realities of the budget, discussed at length about the economic mis-management and anti people economic policies of the previous regime. Initiating the discussion, Dr. Ashwani Mahajan expressed concern over slowing growth, deepening poverty and unemployment, rising current account deficit in balance of payment and declining manufacturing output. He told that the previous Finance Minister fudged the budget figures by hiding various expenditures and overstating revenue receipts and thereby showing lower figure for fiscal deficit.
Dr. Bhagwati Prakash Sharma, vice chancellor, said that 47 percent of P. Chidambaram’s projected figure of fiscal deficit has already been exhausted in first two months of the current fiscal year. At the end of the year this deficit may go up to much higher level, worsening the inflation further. He stressed at rationalizing the government expenditure. He cautioned the government on the methodology for disinvestment, which the government has been contemplating to raise funds. Citing global examples, he said that retail sale of equity of public sector undertakings including the loss making enterprise would be the best policy of disinvestment.
Dr. Bharat Jhunjhunwala speaking on the issue of inflation said that though inflation is a matter of concern, however if from rising prices of food products, farmers get better value for their produce, then there should not be any objection. We should rather try to control inflation in manufactured products, may it be toiletries, medicines or any other household goods. He opined that if farmer gets remunerative price for his products his condition would improve. He also stressed that resource rich middle class should be made to sacrifice in the interest of poor masses of rural and urban India.
Dr. R. Balashankar while commenting on the conspiracy and game plan of international financial institutions including world bank, blamed these institutions for actually weakening India by imposing anti people conditionalities. Last two decades have witnessed the worst role of these international institutions. In the name of globalisaton, Indian resources have been looted by the MNCs. He said that government should come out of the mindset of FDI and try to embark upon the development model based on domestic resources and Indian genius.
Prof. Shivaji Sarkar criticized the project of bullet train, as stipulated by the government. He opined that it would be better if the government provides better train services to the commoners, instead of embarking on capital intensive projects like this. Instead of providing luxury of bullet train, we need to provide essential services like health, education and others to the common man.
Regional co-convener of Swadeshi Jagran Manch Sh. Deepak Sharma ‘Pradeep’ said that along with change in the government’s economic policies, it is imperative to change the system. Convener of the program CA Vinod Goyal presented the vote of thanks. Discussion meeting was anchored by advocate Rajiv Kumar. Research Scholar of Delhi School of Economics Sh. Rajiv presented a power point presentation. The discussion meeting was attended by nearly 500 participants, including Seh Prant Sanghchalak RSS Delhi Dr. Shyam Sunder Agarwal, Ex Prant Sanghchalak RSS Delhi Sh. Ramesh Prakash, Mayor of East MCD Mrs Meenakshi, Standing Committee Chairperson of East MCD Mrs Usha Shastri, Lok Sabha MP from Meerut Sh. Rajendra Agarwal, All India Co-convener of Swadeshi Jagran Manch Sh. Saroj Mitra, Organiser SJM Delhi and Haryana Sh. Kamaljeet, Sh. Ajay Kumar and number of chartered accountants, professors, industrialists and social activists.
दिल्ली: स्वदेशी जागरण मंच द्वारा मोदी सरकार के पहले आम बजट से पूर्व परिचर्चा का आयोजन दिल्ली के दीनदयाल शोध संस्थान के सभागार में दिनांक 7 जुलाई 2014 को किया गया. जानेमाने अर्थशास्त्री डॉ. भरत झुनझुनवाला और उदयपुर के पेसिफिक विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा और जानेमाने पत्रकार डॉ. आर.बालाशंकर और प्रो. शिवाजी सरकार सरीखें वक्ताओं ने इस परिचर्चा में भाग लिया. हालांकि यह परिचर्चा 10 जुलाई को संसद में पेश होने वाले आम बजट के संदर्भ में थी, लेकिन इस परिचर्चा में जनहित, राष्ट्रहित में आगामी बजट में अपेक्षाओं पर तो चर्चा हुई लेकिन साथ ही साथ पूर्व सरकारों के आर्थिक कुप्रबंधन और जनविरोधी आर्थिक नीतियों पर भी जमकर चर्चा हुई.
परिचर्चा का प्रारंभ करते हुए स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह-संयोजक डॉ. अश्वनी महाजन ने अर्थव्यवस्था में घटती ग्रोथ, बढ़ती गरीबी और बेरोजगारी, बढ़ते विदेशी भुगतान घाटे और मैन्यूफेक्चरिंग में गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए पिछले बजट में पूर्व सरकार के वित्तमंत्री श्री पी. चिदंबरम द्वारा खर्चों को छुपाते हुए और राजस्व में बनावटी वृद्धि करते हुए राजकोषीय घाटे को कम दिखाने का मुद्दा उठाया.
मंच के अखिल भारतीय सह-संयोजक प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने बताया कि पी. चिदंबरम ने जितने राजकोषीय घाटे की परिकल्पना की थी उसका 47 प्रतिशत वर्ष के पहले 2 महीनों में ही पूरा हो चुका है. आगे चलकर यह घाटा कहीं ज्यादा हो सकता है, जिसके कारण महंगाई बढ़ सकती है. उन्होंने सरकारी खर्च युक्तिसंगत बनाने पर जोर दिया. उनका कहना था कि जिस प्रकार सरकार आमदनी बढ़ाने के लिए विनिवेश का सहारा लेना चाहती है, उसमें सरकारी व्यसायिक प्रतिष्ठानों की बिक्री सही उपाय नहीं है. उन्होंने वैश्विक अनुभवों का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया भर में सबसे अधिक लाभकारी विनिवेश का तरीका यह है कि घाटे वाली सरकारी कंपनियों सहित सभी सरकारी प्रतिष्ठानों में छोटे शेयर होल्डरों को शेयर बेचे जाएं. ऐसे में घाटे वाली कंपनियों के शेयर को भी ऊंची कीमत पर बेचकर धन जुटाया जा सकता है.
डॉ. भरतझुनझुनवाला ने देश में मंहगाई के संदर्भ में बोलते हुए यह कहा कि हालांकि मंहगाई चिंता का विषय है लेकिन यदि खाद्य वस्तुओं में महंगाई से किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिल पाता है तो हमें उस मंहगाई को मान्य करना चाहिए लेकिन बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा ऊंची कीमत पर सामान, चाहे वो साबुन हो या दवाईयां या कोई दूसरा साजोसामान, बेचने पर नियंत्रण होना चाहिए. उनका कहना था कि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिलेगा, तभी देश में खाद्य पदार्थ समुचित मात्रा में उपलब्ध हो पायेंगे. उन्होंने विचार व्यक्त किया कि देश के विकास के लिए साधन संपन्न लोगों को त्याग करना होगा.
डॉ. आर. बालाशंकर ने विश्व बैंक और अन्य वैश्विक वित्तीय संस्थानों के षडयंत्रों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनके द्वारा पहले तो अर्थव्यवस्थाओं को ध्वस्त किया जाता है, और बाद में उन पर अनुचित शर्तें लादकर उन्हें और कमजोर किया जाता है. 1990 के दशक में यही सब कुछ हुआ. उन्होंने भूमंडलीकरण के नाम पर अन्यान्य प्रकार से भारतीय संस्थानों की लूटखसोट पर चिंता व्यक्त करते हुए यह कहा कि इस सरकार को विदेशी निवेश के मोह से बाहर आकर देश के संसाधनों के आधार पर विकास करने की तरफ आगे बढ़ना चाहिए.
प्रो. शिवाजी सरकार ने रेलवे में विदेशी निवेश के आधार पर बुलेट रेल चलाने की योजना की आलोचना करते हुए यह कहा कि आज देश में आमजन के लिए बेहतर यातायात सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए. अमीरों के लिए सुविधाएं जुटाने की बजाए आमजन के लिए बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सुविधाएं ज्यादा जरूरी है.
स्वदेशी जागरण मंच के उत्तर क्षेत्र के सहसंयोजक श्री दीपक शर्मा ‘प्रदीप’ ने सरकारी नीतियों में बदलाव के साथ-साथ व्यवस्था परिवर्तन पर बल दिया. परिचर्चा के संयोजक चार्टड एकाउंटेंट श्री विनोद गोयल ने धन्यवाद ज्ञापित किया. परिचर्चा का संचालन अधिवक्ता राजीव कुमार ने किया. इस परिचर्चा में दिल्ली विश्वविद्यालय के डी स्कुल आफ इकोनोमिक्स के रिसर्च स्कालर राजीव ने पावर पावईंट भी प्रस्तुत किया. इस परिचर्चा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहप्रांत संघचालक डॉ. श्याम सुन्दर अग्रवाल, पूर्व प्रांत संघचालक रमेश प्रकाश, पूर्वी दिल्ली नगर निगम के मेयर मीनाक्षी, पूर्वी दिल्ली नगर निगम के स्टेंडिंग कमेटी के चेयरमेन उषा शास्त्री, संसद सदस्य राजेन्द्र अग्रवाल, स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सहसंयोजक सरोज मित्र, कमलजीत, अजय कुमार और गणमान्य व्यक्तियों में समाजसेवी, चार्टड एकाउंटेंट, प्राध्यापक, उद्योगपति आदि उपस्थित रहे.