संघ कार्य का विकेन्द्रीकरण अब आईटी क्षेत्र में : श्री भैयाजी जोशी
नागपुर । “शाखा’ संघकार्य का आधार स्तम्भ है । इसका विकेन्द्रीत रूप नगरों व ग्रामों से विस्तारित होता हुआ अब आईटी (IT) के क्षेत्र में पहुँच गया है ।
आज बैंगलोर (बंगलुरु) के 90 स्थानों पर आईटी के छात्रों के लिए विशेष शाखा चलाये जाते हैं । मैंगलोर, हैदराबाद, चेन्नई, पुणे, नोएडा तथा गुडगांव में भी युवा छात्रों की शाखा विस्तार रूप ले रही है । संघशाखा के इस व्यापक कार्य की चर्चा करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी ने अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के आयोजन की विशेषताओं तथा देश से जुड़े अनेक मुद्दों पर विचार व्यक्त किए ।
उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा देश के विकास हेतु गहन-चिन्तन के लिए बनाई गई शीर्षस्थ रचना है ।
इसके पूर्व श्री जोशी ने मीडिया का अभिवादन किया और कहा कि मीडिया ने प्रतिनिधि सभा में पारित प्रस्तावों के प्रचार-प्रसार मेें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । उन्होंने कहा कि आज सम्पूर्ण भारत में संघ के माध्यम से 1 लाख 60 हजार से अधिक स्थानों पर सेवा कार्यों का संचालन होता है । उन्होंने बताया देश के अनगिनत ग्रामों तथा महानगरों की अनेक सेवा-वस्ती में निवास करने वाले लाखों लोगों को शिक्षा, स्वावलम्बन का भाव जगाने में संघ ने सफलता पाई है । “विश्वमंगल गो-ग्राम यात्रा’ के सफलता की चर्चा करते हुए श्री जोशी ने बताया कि गत दो वर्ष चली गो-ग्राम यात्रा से देश में 600 नई गो-शाला का निर्माण हुआ ।
विभिन्न राज्यों के नेताओं को भी इस अभियान के माध्यम से गो-सेवा के कार्य में सहभागी बनाया गया ।
उन्होंने बताया कि संघ की इन सारी गतिविधियों के साथ ही धार्मिक एवं सामाजिक सौहार्द तथा राष्ट्रीय नीतियों के विषय में विमर्श करने के लिए इस प्रतिनिधि सभा का आयोजन किया जाता है ।
राष्ट्रीय जल-नीति प्रारूप 2012 पर पुनर्विचार आवश्यक
केन्द्र सरकार के द्वारा हाल ही में प्रसारित राष्ट्रीय जल-नीति प्रारूप 2012 के अंतर्गत जल को जीवन के आधार के रूप में वर्णित करने के साथ ही अत्यंत चतुराई से विश्व बैंक तथा बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सुझाये व्यापारिक प्रतिरूप (Model) की क्रियान्विति के प्रस्ताव का समावेश कर इस दिशा में अपनी दूषित मानसिकता को प्रगट किया है । इस विषय को लेकर अ.भा.प्र.सभा में प्रतिनिधियों द्वारा हुए गहन विमर्श के पश्चात पारित प्रस्ताव की जानकारी देते हुए श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि देश की प्राकृतिक संपदा हमारी समस्त जीव-सृष्टि की पवित्र विरासत है । इसलिए जल संसाधनों, मिट्टी, वायु, खनिज संपदा, पशुधन, जैव विविधता और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का व्यपारिक लाभ के लिए कानून बनाना राष्ट्रहित में नहीं है । देश की जनता को सुविधा उपलब्ध कराना सरकार का दायित्व है, जबकि हमारी सरकार प्राकृतिक संसाधनों का व्यापारिकरण के लिए नीतियां बना रही है, जो सर्वथा अनुचित है । इसलिए राष्ट्रीय जलनीति से लेकर भू-उपयोग परिवर्तन एवं देश के सभी प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर ग्राम सभाओं से लेकर उच्चतम स्तर तक गंभीर विचार-विमर्श और तद्नुरूप नीति निर्माण सरकार की आज पहली प्राथमिकता होनी चाहिए । श्री जोशी ने बताया कि यदि सरकार ने जल को निजी लाभ का साधन बनाने हेतु जल की कीमत को लागत आधारित बनाने की दिशा में कदम बढ़ाये तो उसे सशक्त जनप्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा ।
क्षेत्रीय दलों का हावी होना लोकतन्त्र के लिए खतरा
उत्तरप्रदेश के चुनाव परिणाम पर पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि वर्तमान में भारत के विभिन्न राज्यों में क्षेत्रवाद की राजनीति हावी हो रही है । इससे राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के समक्ष क्षेत्रीय राजनीति की चुनौतियां खड़ी हो गई है । यह राष्ट्रीय नीतियों के क्रियान्वयन के लिए सबसे बड़ी बाधा है ।
उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय राजनीति का हावी होना लोकतंत्र के लिये खतरा है ।