Mumbai May 31: Konkan Prant (Includes Goa and Coastal Maharashtra) level 21-day annual summer cadre training camp First Year Sangh Shiksha Varg concluded on Saturday evening May 30, 2015. Kreeda Bharati’s National Organising Secretary Raj Chowdhary delivered the valedictory address. Noted Cinema Director Nitin Chandrakant Desai presided over the event.

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मा.राज चौधरी, अ.भा.संघटन मंत्री , क्रीडा भारती.
कोकण प्रांत के प्रथम वर्ष के संघ शिक्षा वर्ग के आज हुए समापन में दिये गये  मुख्य वक्तव्य से.

” आज ज्येष्ठ शुद्ध द्वादशी ..और एक दिन के पश्चात भारतीयों के जीवन का सर्वश्रेष्ठ दिवस है.शिवछत्रपती का सिंहासनाधिष्टीत हुए. सभी दिशाओं से सुलतानी कहर था.पर मातोश्री जिजाबाई ने अपने बाल के मनपर विजय की आकांक्षा बिंबित की.और उन्ही से प्रेरणा लिये संघ का कार्य आरंभ हुआ, आज भी चल रहा है.
संघ संस्थापक डॉक्टर हेडगेवारजी के कुछ पत्र उपलब्ध है.मेरे मन से उनका प्रभाव हटताही नही. डॉक्टरजी प्रवास में जा रहे थे.मुंबई से लाहोर की दिशा में..पर कर्णावती कै बाद प्रवासियों का व्यवहार बदलता हुआ उन्होंने देखा.कारण स्पष्ट है.आगे की लक्षणीय घटना जिस में राष्ट्र सेविका समिती की सरसंचालिका वंदनीय मावशी केलकरजी को आज विभाजित भारतीय भूभाग से पत्र आया जिस में लिखा था की यही से अंतिम प्रणाम का स्वीकार करिये.अब आप से प्रत्यक्ष भेट का अवसर न प्राप्त होगा.पत्र प्राप्त हुआ वह दिन था 14 अगस्त 1947 जब उस क्षेत्र में जाना यह दुःसाहस ही था.पर वंदनीय मौसीजी और एक कार्यकर्ता भगिनी अंतिम हवाई जहाज से वहाँ पहुँचे.वहाँ भयप्रद वायुमंडल था.दस्तक देनेपर भी द्वार खोला न गया तब मौसीजी ने आवाज दी.सभी बंधु भगिनीओं को विलक्षण आधार मिलने का भाव उत्पन्न हुआ.वं.मौसीजी ऐसे 210 हिंदू समाजबंधुभगिनियों को साथ ले करही लौट आयी.अभी अभी मध्यपूर्व का देश येमन से हमारे बांधवों को भी इसी तरह से मातृभूमी में लाया गया.कारण यही सीख हमें मिली है.संघ के संस्कारों से मिली है.
महाराष्ट्र के बडे उद्योजक अतुलजी किर्लोस्कर ने संघ के कुछ कार्यकर्ताओं को बुलाकर कुछ धन देने की बात कही.कारण यह बताया की गुजराथ में कुछ उद्योग हेतु शासकीय कार्यालय में काम था.काम होने के लिये पैसे लिये जाते है यह अनुभव था.पर बिना कुछ धन दे कर काम पूर्ण हुआ तभी निर्णय किया था की यह धन संघ के कार्य में देना.यही संस्कारों का परिणाम है.यही संस्कार ले कर एक व्यक्ती आज प्रधानमंत्री बने है तो यही अनुभव आयेगा. इसे प्रसिद्धी नही मिलती.आवश्यकता भी नही.हम प्रसिद्धी पराङमुख रहकर निष्ठि से निर्भयता से काम करेंगे.डॉक्टरजी ने यही मंत्र हमे दिया है.व्यक्तीतक पहुँचना.डोअर टू डोअर से आरंभ कर हार्ट टू हार्ट पहुँचना यही हमारी संघ कार्यपद्धती है.इसी से सब होगा.कुछ वर्ष पूर्व हमारा आळंदी में संमेलन हुआ जिसकी व्यवस्था में मै था.सजावट गट के हमारे सहयोगी ने प्रवेशद्वार की सज्जा संकल्पना बतायी और वहाँ अणू का चित्र बनाना तय किया.लोगों को आश्चर्य लगा.पर हमारा विज्ञान से भी नाता है.विज्ञान भारती नाम से हमारा संघटन भी है.
इसी संघ संस्कारों से हम सब करेंगे.
आज इतना स्मरण देकर रुकता हूँ.
कल छत्रपती शिवाजी महाराज का स्मरण करने , प्रेरणा लेने आप सभी नागरीक बंधु भगिनी अवश्य अपने अपने क्षेत्र के कार्यक्रमों में सहभाग ले यही आप सभी से प्रार्थना.”

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मा. नितीन चंद्रकांत देसाई, ज्येष्ठ सिने कला दिग्दर्शक
कोकण प्रांत के प्रथम वर्ष के संघ शिक्षा वर्ग के समापन कार्यक्रम के प्रमुख अतिथी के नाते दिये गये वक्तव्य से.

“मैं संघ का  ऋणी हूँ. मैने राजा शिवछत्रपती मालिका बनायी थी. तब शिवबा से शिवाजी कैसे बने यह मुझे इस शिक्षार्थियों के प्रात्यक्षिक देखते हुए समझ में आ रहा है.
मैं इसी मुलुंड नगरी में बडा हुआ हूँ. तब मैं दूर से शाखा देखता था.पर दंड के भय से सहभागी न हुआ. और तब कुछ विशेष घरों से ही बाल शाखा में जाते दिखायी देते थे. पर आज यह दृश्य देखकर मैं अभीही यह ईच्छा प्रदर्शित करता हूँ की मुझ जैसे अब थोडे ज्येष्ठ आयु के व्यक्तिओं के लिये जब अगला वर्ग आयोजित होगा तो मैं तब आज के इन स्वयंसेवकों की तरह मैं भी शारीरिक प्रात्यक्षिक करता दिखुंगा.उस वर्ग के लिये मैं आज ही मेरा नामांकन कर रहा हूँ.
व्यक्ती विकास के इस वर्ग समापन में मुझे उपस्थित रहने का अवसर मिला यह मेरा भाग्य है.
मैं कोकण का पुत्र हूँ और कोकण में अढाई सौ से अधिक शाखाएं लगती है यह आनंददायी वृत्त मैने यही आकर सुना.
मेक इन भारत जैसे ही हम मेक इन मुंबई , मेक इन कोकण करते हुए हम प्रगती करें.
आगे संघ अधिकारी का मार्गदर्शन मुझे भी सुनना है अतः मै सभी को शुभकामनाएं देकर भाषण समाप्त करता हूँ.”

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