Nagaur, Rajasthan March 12, 2016: On its Second day of National Meet Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha (ABPS), RSS passed second major resolution on affordable, accessible and quality education for all common citizens of Bharat.
Resolution No. 2
Accessible, affordable and quality education for all
Education is an essential means for the development of any nation and society for which; both the society and government are responsible for nourishing, promoting and patronizing it. Education is a tool for nurturing the seeds of attributes and potentialities of a pupil for development of his holistic personality. It is a primary responsibility of the government in a welfare state to ensure education and healthcare to every citizen along with food, clothing, shelter and work.
Bharat is a country with the highest number of youngsters. It is the responsibility of the government and society to make unhindered appropriate education available to its youth according to their aptitude, ability and quality for their participation in the scientific, technological, economic and social development of the nation. Today, all the parents want to impart good education to their wards. When there is appreciable rise in the number of pupils acquiring education, it has become difficult for them to get affordable quality education. Inadequate allocation on education and lack of priority to education in government policy during the preceding years has left open this field to the institutions with the motive of profit. Today, poor students are deprived of appropriate quality education. As a consequence, the growing economic disparity in the society is a serious concern for the whole nation.
In the contemporary education scenario, the governments must come forward towards its responsibility of allocating adequate resources and formulating appropriate policies. There is a need to curb the rising commercialization of the education sector so that the pupils are not compelled to acquire education at unaffordable costs.
The government should strengthen the autonomous self-regulatory mechanism for the education institutions in terms of their quality, infrastructure, services conditions, fees and standards so that its policies and are implemented in a transparent manner.
The Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha is of the opinion that every child should get value based, nationalistic, employment-oriented and skill-based education in an atmosphere of equal opportunity. It is utmost essential to ensure proper training, appropriate salaries and strengthen the dutifulness of the teachers to enhance their standard; both in state run and private schools.
Traditionally our society has played a vital role in providing affordable quality education to the common man. In today’s context also, all the social, religious organizations, corporates, educationists and eminent people should come forward in this direction owning their responsibility.
The Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha calls upon the Central and State Governments and local bodies to ensure availability of requisite resources and necessary statutory mechanisms for imparting affordable quality education to all. It also appeals to the society to come forward in this noble cause of imparting education especially in the rural, tribal and undeveloped areas so that a worthy, able and knowledge driven society is created which will play its important role in the development and upliftment of the nation.
प्रस्ताव क्र. 2: गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती शिक्षा सबको सुलभ हो
किसी भी राष्ट्र व समाज के सर्वांगीण विकास में शिक्षा एक अनिवार्य साधन है, जिसके संपोषण, संवर्द्धन व संरक्षण का दायित्व समाज व सरकार दोनों का है। शिक्षा छात्र के अन्दर बीजरूप में स्थित गुणों व संभावनाओं को उभारते हुए उसके व्यक्तित्व के समग्र विकास का साधन है। एक लोक कल्याणकारी राज्य में शासन का यह मूलभूत दायित्व है कि वह प्रत्येक नागरिक को रोटी, कपड़ा, मकान और रोजगार के साथ-साथ शिक्षा व चिकित्सा की उपलब्धता सुनिश्चित करे।
भारत सर्वाधिक युवाओं का देश है। इस युवा की अभिरूचि, योग्यता व क्षमता के अनुसार उसे उचित शिक्षा के निर्बाध अवसर उपलब्ध कराकर देश के वैज्ञानिक, तकनीकी, आर्थिक व सामाजिक विकास में सहभागी बनाना समाज एवं सरकार का दायित्व है। आज सभी अभिभावक अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते हैं। जहाँ शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है वहाँ उन सबके लिए सस्ती व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाना दुर्लभ हो गया है। विगत वर्षों में सरकार द्वारा शिक्षा में अपर्याप्त आवंटन और नीतियों में शिक्षा को प्राथमिकता के अभाव के कारण लाभ के उद्देश्य से काम करने वाली संस्थाओं को खुला क्षेत्र मिल गया है। आज गरीब छात्र समुचित व गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। परिणामस्वरूप समाज में बढ़ती आर्थिक विषमता समूचे राष्ट्र के लिए चिंता का विषय है।
वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य में सरकार को पर्याप्त संसाधनों की उपलब्धता तथा उचित नीतियों के निर्धारण के अपने दायित्व के लिए आगे आना चाहिए। शिक्षा के बढ़ते व्यापारीकरण पर रोक लगनी चाहिए ताकि छात्रों को महंगी शिक्षा प्राप्त करने को बाध्य न होना पड़े।
सरकार द्वारा शिक्षा संस्थानों के स्तर, ढांचागत संरचना, सेवाशर्ते, शुल्क व मानदण्ड़ आदि निर्धारण करने की स्वायत्त एवं स्वनियमनकारी व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए ताकि नीतियों का पारदर्शितापूर्वक क्रियान्वयन हो सके।
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का यह मानना है कि प्रत्येक बालक-बालिका को मूल्यपरक, राष्ट्र भाव से युक्त, रोजगारोन्मुख तथा कौशल आधारित शिक्षा समान अवसर के परिवेष में प्राप्त होनी चाहिए। राजकीय व निजी विद्यालयों के शिक्षकों का स्तर सुधारने हेतु शिक्षकों को यथोचित प्रशिक्षण, समुचित वेतन तथा उनकी कर्त्तव्यपरायणता दृढ़ करना भी अति आवश्यक है।
परम्परा से अपने देश में सामान्य व्यक्ति को सस्ती व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने में समाज ने महती भूमिका निभाई है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी सभी धार्मिक-सामाजिक संगठनों, उद्योग समूहों, शिक्षाविदों व प्रमुख व्यक्तियों को अपना दायित्व समझकर इस दिशा में आगे आना चाहिए।
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा केन्द्र, राज्य सरकारों व स्थानीय निकायों से आग्रह करती है कि सस्ती व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सबको उपलब्ध कराने के लिए समुचित संसाधनों की व्यवस्था तथा उपयुक्त वैधानिक प्रावधान सुनिश्चित करें। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा स्वयंसेवकों सहित समस्त देशवासियों का भी आवाहन करती है कि शिक्षा प्रदान करने के पावन कार्य हेतु विशेषकर ग्रामीण, जनजातीय एवं अविकसित क्षेत्र में वे आगे आवें ताकि एक योग्य, क्षमतावान व ज्ञानाधारित समाज का निर्माण हो सके जो इस राष्ट्र के उत्थान व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।