Bengaluru August 15, 2015: Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) celebrated 69th Independence Day across the nation today. RSS functionaries of various levels hoisted national flag at various places, thousands of RSS Swayamsevaks attended Independence Day celebrations held across the country.
RSS Sarasanghachalak Mohan Bhagwat hoisted national flag and offered salutes to the tricolour at the Independence Day ceremony held at Dr Ambedkar Vanavasi Kalyan Trust, Rushabh Towers of Rander Road, Surat in Gujarat.
RSS Sarakaryavah (General Secretary) Suresh Bhaiyyaji Joshi hoisted National flag. offered salutes at Sewa Dham premises in Agartala of Tripura. RSS Sah-sarakaryavah Dattatreya Hosabale, Dr Krishna Gopal were present in the same ceremony.
आज का दिन देश के लिए संकल्पबद्ध होने का दिन है – श्री मोहनजी भागवत
डॉ. आंबेडकर वनवासी कल्याण ट्रस्ट, सूरत, गुजरात द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित ध्वजवंदन के कार्यक्रम मे प.पू. सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत द्वारा ध्वजवंदन किया गया. इस अवसर पर अपने उद्बोधन मे डॉ. मोहनजी भागवत ने कहा कि अपने देश को 1947 मे स्वतंत्रता मिलने के पश्चात प्रतिवर्ष 15 अगस्त को हम सब देशवासी ध्वजवंदन करते है.
यह संकल्प का दिन है जैसे अपनी स्वतंत्रता प्राप्ति के दिन का हम स्मरण करते है वैसे ही उसके लिए संकल्पबद्ध होने का भी यही क्षण है. और जिस प्रकार हम इस उत्सव को मानते है वही हमारा मार्गदर्शन भी करता है कि हमको क्या संकल्प लेना है. पहले तो एकदम ध्यान मे आता है कि आज का दिवस पूरा देश मना रहा है. अपने देश मे अनेक पंथ संप्रदाय है. सब लोग सब त्यौहार नहीं मनाते, कुछ त्यौहार संप्रदाय विशेष के होते है. अपने देश मे अलग-अलग जाति है उनके भी अपने कुछ विशिष्ठ दिवस होते है वो सब नहीं मानते केवल वो जाति ही मानती है. लेकिन आज का दिवस यहाँ जाति, पंथ, प्रांत, राजनीतिक पार्टी सब भूलकर लोग इस झंडे को वंदन करते है. एक राष्ट्रगीत-राष्ट्रगान गाते है और केवल भारत माता की जय, वन्देमातरम, जय हिन्द कहते है. संघ का सरसंघचालक आया है इसलिए केशव की जय जय, माधव कि जय जय ऐसा कहने की प्रवृति नहीं है, होनी भी नहीं चाहिए.
आज के दिन हम स्मरण करते है कि हमारे देश मे ये सारी विविधताएं है, भेद नहीं है. अतः विविधता मे जो एकता है, उसके स्मरण का आज का दिन है. उस विविधता मे एकता साधकर हम देश के नाते बहुत प्राचीन समय मे खड़े हुए और बहुत उतार-चढ़ाव देखे. अभी आधुनिक उतार-चढ़ाव मे हमने विजय पाया अपने देश को स्वतंत्र किया यह आज का दिन है.
उस सारे संघर्ष का उतार-चढ़ाव देखकर परिस्थिति पर विजयी होने का कारण क्या है? उसका स्मरण अपने यह तिरंगा राष्ट्र ध्वज हमको करता है. इसके तीन रंग है और उसके उपर धर्मचक्र है. यह जो धर्मचक्र है यह बताता है कि हमसब लोगो को अपने देश मे धर्म के प्रवर्तन के लिए जीना है और संपूर्ण दुनिया को खोया हुआ धर्म उनको वापस देना है. धर्म के आधार पर सब लोग जुड़ते है, उन्नत होते है. धर्म यानि पूजा नहीं, पूजा तो धर्म का एक छोटा सा हिस्सा होता है जो धर्म है व्यापक धर्म, मानव धर्म जिसको हिन्दू धर्म भी कहा जाता है. उसके सब प्रकार की विविधताओ की, पूजा पद्धतिओ अनुमति है.परन्तु अपनी अपनी विविधता का गौरव मन मे रखते हुए सब लोग एक हो कर जियें और देश का, दुनिया का, मानवता का गौरव बढ़ाये. इसका संदेश देने वाला यह धर्मचक्र है. धर्म संकल्पना यह केवल भारत की विशेषता है. भारत का व्यक्ति पूरी दुनिया के लिए जीता है.
हमारे राष्ट्र ध्वज का पहला रंग सबसे उपर केशरिया भगवा रंग है. यह त्याग का रंग है, यह कर्मशीलता का रंग है, यह ज्ञान का रंग है. में कौन हूँ, दुनिया क्या है और इसमें मेरा संबंध क्या है ? यह आत्म ज्ञान प्राप्त कर उसके आधार पर सबको अपना मानकर, सबको आगे बढ़ाना. सर्वेपि सुखिनः सन्तु, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्. इस प्रकार का मनुष्य जीवन सृष्टि मे उत्पन्न करना. इसके लिए प्राचीन समय से हमारे पूर्वजो ने, ऋषि मुनियों ने, योद्धाओ ने, राजाओ ने, भक्तो ने त्याग किया. उस त्याग का रंग भगवा है. त्याग करने वालो के वस्त्रो का रंग भगवा है. सुबह उठते है सूर्योदय होता है तो आसमान मे जो रंग दिखता है, अंधकार समाप्त कर प्रकाश बढ़ाने वाला वही यह रंग है. उठने के बाद लोग काम मे लग जाते है, रात को सो जाते है, फिर उठकर काम मे लग जाते है.
यह कर्मशीलता का रंग है और यह कर्मशीलता किनकी है, त्याग किनका है ? जिनका जीवन विशुद्ध है, निर्मल है. उस निर्मलता का, पवित्रता का प्रतिक सफेद रंग है. और ऐसा करने से होता क्या है ? तो संपूर्ण विश्व मे सबके लिए समृधि मिलती है उसी समृधि का प्रतिक हरा रंग है.
देश को स्वतंत्रता मिली लेकिन इस स्वतंत्रता का प्रयोजन क्या था ? क्यों हम स्वतंत्र होना चाहते थे ? तो हम एक ऐसी दुनिया बनाना चाहते है जिसमे भारतवासियो के त्याग, कर्मशीलता और ज्ञान के आधार पर और उनके हृदय की निर्मलता, शांतिपूर्णता के आधार पर संपूर्ण विश्व समृद्ध होकर श्रेयस की ओर आगेकुच जारी रखे. यह कर्तव्य पूरा करने के लिए भारत को स्वतंत्र होना, भारत को समर्थ होना, भारत को सुरक्षित होना और भारत को परम वैभव संपन्न होना आवश्यक है. वो करने के लिए मेरा जीवन है मेरे जीवन की सारी शक्तियां, अपने इस कर्तव्य को पूरा करने मे लगा दूंगा. यह संकल्प प्रतिवर्ष अपने स्वतंत्रता दिवस पर हमको लेना चाहिए. वैसा आप संकल्प धारण करेगें और उस संकल्प की पूर्ति के लिए प्रयास करेंगे, उस संकल्प की पूर्ति के लिए अपने जीवन मे आवश्यक जीवन परिवर्तन आप स्वयं करेंगे इस आशा और विश्वास के साथ आपको धन्यवाद देता हुआ मे अपनी बात समाप्त करता हूँ.
कार्यक्रम मे मंच पर श्री हिमांशु भाई भट्ट ( अध्यक्ष, डॉ. आंबेडकर वनवासी कल्याण ट्रस्ट), डॉ. जयंतीभाई भाड़ेसिया (मा. संघचालक, पश्चिम क्षेत्र), श्री सुरेशभाई मास्टर (विभाग संघचालक, सूरत) उपस्थित रहे.
At RSS Central headquarters, Dr Hedgewar Bhavan near Mohitewada maidan of Mahal in Nagpur, the national flag was hoisted early morning. Significantly, Mohitewada is the birth Place of RSS, where RSS was founded in 1925 by Dr Keshav Baliram Hedgewar.
At ‘SHAKTI’, Chennai RSS Karyalay, Dr. A Kalanidhi, former Vice Chancellor of Anna University and Vice Chairman, Commonwealth Science and Technology Academy for Research unfurled the National Flag.