रामभाऊ बोंडाळे और सुभाषजी सरवटे दिव्य ध्येय के तपस्वी थे – सरसंघचालक जी।
नागपुर, २५ फरवरी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ज्येष्ठ प्रचारक सुभाषजी सरवटे और रामभाऊ बोंडाळे ये दिव्य ध्येय के तपस्वी थे। दोनों के जीवन त्याग मय तथा संघ मय रहे। उनके गुणों का स्मरण करना और आत्मसात करने का प्रयत्न करना, यही उन्हें सच्ची श्रद्धांजली होगी, ऐसा प्रतिपादन सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने रविवार को यहां किया।
नागपुर के रेशिमबाग स्थित स्मृती भवन परिसर के महर्षी व्यास सभागृह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नागपूर महानगर की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सुभाष सरवटे तथा रामभाऊ बोंडाळे इन दिवंगत प्रचारकों को श्रद्धांजली दी गई। मंच पर सरसंघचालक मोहन भागवत जी, विदर्भ प्रांत सह संघचालक श्रीधर गाडगे, तथा नागपुर महानगर संघचालक राजेश लोया उपस्थित थे।
रामभाऊ के जीवन पर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने भाष्य करते हुए कहा कि, रामभाऊ का जीवन अत्यंत कष्टप्रद रहा। उनका जीवन देखते हुए हम छोटे से बड़े हुए। संघ कार्य हेतु रामभाऊ ने अपार मेहनत की। राममंदिर बनता देख उन्हें अत्यंत आनंद हुआ था।
सुभाषजी के जीवनकार्य पर बोलते हुए सरसंघचालक जी ने बताया, कि वे नियमों के पक्के थे। बंगाल-आसाम के प्रतिकूल परिस्थिती में जाकर उन्होंने संघकार्य किया। उनका जीवन नियमित, संघ शरण एवम् अभ्यासपूर्ण रहा।
दोनों के जीवन त्याग मय और संघ मय थे तथा स्वयंसेवकों ने उनके गुणों का स्मरण कर, उन्हें जीवन में उतारने की आवश्यकता है, ऐसा सरसंघचालक जी ने कहा।
इस अवसर पर संघ के अधिकारी, स्वयंसेवक तथा विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी बहुसंख्या में उपस्थित रहे। आरंभ में विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारीयों ने दिवंगत प्रचारकों को श्रद्धांजली अर्पित की। प्रशांत इंदूरकर इन्होंने सुभाषजी तथा श्रीकांत कोंडोलीकर इन्होंने रामभाऊ के जीवन पर प्रकाश डाला। शांती मंत्र से कार्यक्रम का समापन हुआ।