नागपुर, २९ मार्च २०१२ : संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार जी के जीवन पर आधारित २८ सुमधुर गीतों की ‘केशव शतक’ सीडी केवल सर्वसामान्य रसग्रहण के लिए नहीं| संपूर्ण भारत ‘केशव-रस’से ओतप्रोत करने का कार्य करने की प्रेरणा इस सीडी से मिलनी चाहिए, ऐसा रा. स्व. संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत ने कहा| संस्कार भारती जयपुर निर्मित ‘केशव शतक’ सीडी के प्रकाशन कार्यक्रम में वे बोल रहे थे|
डॉक्टर जी ने जिस प्रयोजन के लिए संघ की स्थापना की, वह प्रयोजन साकार करने का समय आया है| इसके लिए हर किसी ने डॉक्टर जी की सीख के अनुसार सक्रिय होने की आवश्यकता है| परोपकार जिसका मूल आधार है ऐसे धर्म को पुष्ट करने के लिए प्रयास करना, हर एक का कर्तव्य है| इसके लिए आवश्यक हो तो संघर्ष करने की भी सिद्धता होनी चाहिए| लेकिन, इससे संघर्षजन्य द्वेष और त्वेष निर्माण नहीं होना चाहिए| यही डॉक्टर जी के जीवन की प्रेरणा है, ऐसा उन्होंने कहा|
पहले की तुलना में संघ आज अधिक प्रासंगिक हो गया है| उसे सर्वव्यापी बनाने के लिए हमें पूरी किमत चुकानी होगी, ऐसा बताते हुए उन्होंने कहा कि, डॉक्टर जी के भाषण में निराशा का एक भी शब्द नहीं होता था; हर समस्या का हल होता था|
आज की देश स्थिति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि, यह व्यवस्था हमें ही बदलनी होगी| दुनिया में की अन्य व्यवस्थाएँ उसी स्वरूप में न स्वीकार कर, उनका अभ्यास करके हमें हमारे समाज के अनुरूप व्यवस्था निर्माण करनी होगी| व्यवस्था समाज का वस्त्र होती है| वह उस समाज के नाप का ही होना चाहिए, ऐसा उन्होंने कहा|
संघर्ष के इस दौर में संघ के स्वयंसेवकों से अपेक्षित वर्तन के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि, स्वयंसेवक का ‘स्वयं’ ऐसा बना होता है कि, वह स्वयंप्रेरणा से चलता है| किसी भी स्थिति में वह ‘स्वयं’ निष्क्रिय नहीं होता| विकराल परिस्थिति का परिणाम न होने देकर आगे जाने की उसकी तैयारी होती है|
जिनके शब्दकोश में ‘मैं-मेरा’ यह शब्द ही नहीं था, ऐसे अलौकिक महापुरुष डॉ. हेडगेवार जी के विचार, काव्य की मर्यादाओं का ध्यान रखकर शब्दबद्ध करना, बहुत कठिन काम है और उस को अनुरूप और दिल को छू लेनेवाला संगीत देना तो और भी अधिक कठिन काम है| लेकिन, कवि लक्ष्मीनारायण भाला ‘अनिमेष’ और संगीतकार संकल्प दलवी ने यह कार्य बहुत अच्छी तरह किया है, इन शब्दों में सरसंघचालक जी ने ‘केशव शतक’ इस सीडी में के संगीत और काव्य की प्रशंसा की|
संगठन के मंत्र दाता, तंत्र के आधार|
लो! नमन शतवार! शत नमन, शत बार!’
यह प्रारंभ का गीत और
‘संघ शिक्षा का प्रशिक्षण नागपुर में था समापन
कष्ट था फिर भी हृदय से पथित हित उद्गार!’
डॉक्टर जी के अंतिम भाषण के सार से परिपूर्ण यह अंतिम गीत, ऐसे २८ गीतों के १०१ परिच्छेद (चरण) इस सीडी में संगीतबद्ध किए गये है|
कार्यक्रम के अध्यक्ष और संस्कार भारती के अखिल भारतीय सह महामंत्री प्रा. गणेश जी रोडे ने अध्यक्षीय भाषण में डॉ. हेडगेवार जी के जीवन और संस्कार भारती के उद्देश्यों की चर्चा की| आरंभ में, संघ के प्रचारक और अभी हिंदुस्थान समाचार वृत्तसेवा के प्रभारी, कवि लक्ष्मीनारायण भाला ‘अनिमेष’ ने इन गीत रचनाओं की पृष्ठभूमि और काव्यभूमिका विशद की|
गायक संजय पंडित ने ‘देखो शुभ दिन आया’ यह वैयक्तिक गीत बंदिशसमान प्रस्तुत कर उपस्थितों को मंत्रमुग्ध किया| यामिनी उपगडे के वंदे मातरम् गायन से कार्यक्रम का समापन हुआ|
कार्यक्रम की आयोजक संस्था संस्कार भारती नागपुर महानगर की अध्यक्षा कांचन गडकरी ने अतिथियों का स्वागत किया| कार्यक्रम का सटिक एवं सुंदर संचालन आशुतोष अडोणी ने किया|
संगीत नियोजन : संकल्प दळवी.
गायक : शेखर सेन, शैलेश माविनकुर्वे, संजय पंडित, अर्चना व्यंकटेश, माला सोलंकी, (सब मुंबई) और क्षितिज बागाईत (जयपुर)