पुणे, 16 सितंबर।
महिलाओं को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। इसलिए सभी क्षेत्रों में महिलाओं का सहभाग बढ़े, इसके लिए संघ प्रेरित संगठन प्रयास करेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक में इस विषय पर चर्चा की गई, यह जानकारी शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने दी।
तीन दिवसीय समन्वय बैठक का समापन आज पुणे में हुआ। इस अवसर पर आयोजित पत्रकार वार्ता में सह सरकार्यवाह जी ने जानकारी दी। अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील जी आंबेकर भी उपस्थित थे। पूजनीय सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत के भाषण के साथ इस बैठक का समापन हुआ। बैठक में 36 विभिन्न संगठनों के कुल 243 प्रतिनिधि उपस्थित थे।
डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि भारत के चिंतन में परिवार सबसे छोटी इकाई होती है। परिवार में महिलाओं की भूमिका सबसे प्रमुख होती है। इसलिए समाज के हर क्षेत्र में महिलाओं को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। महिलाओं की समाज में सक्रियता बढ़ रही है जो सराहनीय है, इसी संदर्भ में संघ की शताब्दी योजना के अंतर्गत महिलाओं की सहभागिता बढ़ाने पर बैठक में चर्चा की गई। महिलाओं में आपसी संपर्क बढ़ाने हेतु देशभर में 411 सम्मेलन आयोजित किये जाएंगे। अब तक 12 प्रांतों में इस तरह के 73 सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं, जिन्हें अच्छा प्रतिसाद मिला है. जिनमें 1 लाख 23 हजार से अधिक महिलाओं का सहभाग रहा।
उन्होंने कहा कि संघकार्य शुरू हुए 97 वर्ष हो चुके हैं। इस यात्रा के चार पड़ाव हैं। संगठन, विस्तार, संपर्क व गतिविधि ये तीन पड़ाव थे। सन् 2006 में श्री गुरुजी की जन्मशती के बाद चौथा पड़ाव शुरू हुआ, जिसमें राष्ट्र की उन्नति के लिये कुछ न कुछ कार्य करने का प्रण हर स्वयंसेवक ले, यह अपेक्षा की गई है।
बैठक में चर्चित अन्य विषयों के बारे में उन्होंने कहा कि समाज में सज्जन शक्ति को संगठित व समाज कार्यों में सक्रिय करने के प्रयासों पर चर्चा की गई।
सनातन संस्कृति को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि सनातन धर्म का अर्थ रिलिजन नहीं है। सनातन सभ्यता एक आध्यात्मिक लोकतंत्र (स्पिरिचुअल डेमोक्रसी) है। जो लोग सनातन को लेकर वक्तव्य देते हैं, उन्हें पहले इस शब्द का अर्थ समझ लेना चाहिए।
इंडिया और भारत नामों को लेकर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि देश का नाम भारत है, वह भारत ही रहना चाहिए। बल्कि प्राचीन काल से यही प्रचलित नाम है। भारत नाम सभ्यता का मूल है।
संघ प्रेरित विभिन्न संगठनों की बैठक वर्ष में एक बार आयोजित की जाती है। इस समन्वय बैठक में भाग लेने वाले संगठन अपने काम और अनुभव, साथ ही आगामी कार्यक्रम आदि जानकारी का आदान-प्रदान करते हैं।
संघ का विस्तार
डॉ. मनमोहन जी ने बताया कि देशभर में संघ कार्य को लेकर प्रतिसाद बढ़ रहा है। संघ की शाखाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। कोरोना से पूर्व जो संख्या थी, उससे अधिक संख्या हो चुकी है। सन् 2020 में देश में 38 हजार 913 स्थानों पर शाखाएं थीं, 2023 में यह संख्या बढ़कर 42 हजार 613 हो गई है यानी इनमें 9.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। संघ की दैनिक शाखाओं की संख्या 62 हजार 491 से बढ़कर 68 हजार 651 हो गई है। संघ की देश में कुल 68 हजार 651 दैनिक शाखाएं हैं और इनमें से 60 प्रतिशत विद्यार्थी शाखाएं हैं। चालीस वर्ष की आयु तक के स्वयंसेवकों की शाखाएं 30 प्रतिशत हैं, जबकि चालीस वर्ष से ऊपर के आयु के स्वयंसेवकों की शाखाएं 10 प्रतिशत हैं। संघ की आधिकारिक वेबसाइट पर जॉइन आरएसएस के माध्यम से प्रति वर्ष 1 से सवा लाख नए लोग जुड़ने की इच्छा जता रहे हैं। उनमें से अधिकतर 20 से 35 वर्ष तक की आयु के हैं।
Source: RSS.Org