जम्मू में प्रवेश बंदी और हवाई अड्डे पर रोके जाने पर डॉ प्रवीण तोगड़िया का सवाल: क्या अब केंद्र और जम्मू कश्मीर सरकारें भी जम्मू काश्मीर को भारत नहीं मानती?
दिल्ली, 21 फरवरी, 2013: अज तड़के जम्मू हवाई अड्डे पर विश्व हिन्दू परिषद् के आंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ प्रवीण तोगड़िया को रोका गया और उन्हें जम्मू में प्रवेश के लिए प्रतिबन्ध किया गया। जम्मू कश्मीर सरकार के पोलिस एवं अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट इन दोनों ने जम्मू हवाई अड्डे के अन्दर आकर उन्हें जम्मू में प्रवेश प्रतिबन्ध का हुकुम थमाया। बाहर विश्व हिन्दू परिषद् के अधिकारी स्वयंसेवक और अन्य हिन्दू उन्हें मिलने के लिए आये थे उन में से एक के पास डॉ तोगड़िया की दवाइयां थी लेकिन उन्हें भी मिलने से डॉ तोगड़िया को प्रतिबन्ध किया गया। विश्व हिन्दू
परिषद् के अधिकृत धर्मरक्षा निधि कार्यक्रम और भगवान् रघुनाथ जी के दर्शन इन दोनों कार्यक्रमों के लिए डॉ तोगड़िया जम्मू हवाई अड्डे पर उतरे थे। प्रातः तडके हवाई अड्डे पर पहुँचे डॉ तोगड़िया को घुसपेटी आतंकी की तरह बंदूकधारी पुलिसों के बीच बिठाया गया और लम्बे समय के बाद उन्हें दोपहर बाद के विमान से वहीँ से वापस भेजा जा रहा है।
इस सरकारी आतंक और अन्याय पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ तोगड़िया ने कहा, “कई वर्षों पहले भारत सरकार ने संसद में प्रस्ताव किया है कि पाकिस्तान व्याप्त काश्मीर सहित जम्मू काश्मीर सम्पूर्ण भारत का अविभाज्य अंग है। लेकिन मेरे जैसे भारत के राष्ट्रवादी देशप्रेमी नागरिक को इस प्रकार से जम्मू में प्रवेश प्रतिबन्ध कर केंद्र और राज्य दोनों सरकारों ने अलगाव वादियों के हाथ में खेल कर स्वयं ही जम्मू काश्मीर को भारत का हिस्सा मानना त्याग दिया है क्या? हवाई अड्डा केंद्र सरकार के अधीन होता है। उसमें जाने के लिए राज्य के पोलिस को केंद्र सरकार की अनुमति लेनी होती है। इसलिए मुझे जम्मू के हवाई अड्डे पर इस प्रकार से रोकना यह दोनों की मिलकर कारवाही है। भारत के नागरिक के नाते मुझे भारत में कहीं भी प्रवास, भाषण करने का अधिकार है। जम्मू जाने से मुझे रोकना और जबरदस्ती हवाई अड्डे पर बिठाकर वापस भेज देना यह मेरे मूलभूत अधिकारों के हनन है। मेरे कार्यक्रमों में भगवान् रघुनाथ जी के दर्शन भी थे, वे भी मुझे करने नहीं देना यह मेरे और सभी हिन्दुओं के धार्मिक अधिकारों का हनन है। अफझल को फाँसी देने के बाद उस के समर्थक जम्मू काश्मीर में प्रतिशोध की घोषणा देकर सप्ताह तक जन जीवन ठप्प कर बैठे थे। विश्व हिन्दू परिषद् के तोगड़िया को जम्मू में प्रवेश प्रतिबंधित कर इस प्रकार से हवाई अड्डे पर बिठाना और वापस जबरदस्ती भेजना ये सरकारों ने अफझल समर्थकों के प्रतिशोध को दिया हुआ सहयोग ही है। मतों के लिए सरकारें कितना झुकी हैं, इस का यह घिनौना उदाहरण है। सरकारों को हमारे सेना पोलिस के जवानों को निर्ममता से मारने वाले युवाओं को पोलिस में नौकरी देना पसंद है; पाकिस्तान में हाफ़िज़ सईद के साथ बैठनेवाला यासीन मलिक, भारतभर और दुनियाभर घूम कर कश्मीर भारत नहीं कहनेवाले सईद अली शाह गिलानी और उन के दोस्त सरकारों को पसंद हैं – उन्हें देश में कहीं जाने से रोक नहीं; अजमेर जाकर 26/11 मुंबई हमला भारत ने ही किया यह कहनेवाले पाक के रहमान मलिक इन्हें चलते हैं; बांगला देश के लाखों घुसपेटी इन्हें प्यारे हैं; लेकिन राष्ट्रवादी तोगड़िया और राष्ट्रवादी संघटन सरकारों को नहीं पसंद! यह मतों की राजनीति भारत के लिए खतरा है।”
डॉ तोगड़िया ने आगे कहा: “जम्मू और आस पास के हिन्दुओं पर गत कई वर्षों से अन्याय अत्याचार हो रहे हैं; शिक्षा नौकरियाँ, बेंक के कर्जे इन सभी में उन के साथ भेदभाव हो रहा है। ऐसे कई हिन्दू परिवार मुझे आज मिलकर अपने दुःख और अन्याय के अनुभव बतानेवाले थे। वापस आकर भारत के सभी को मैं ये सच्चाई बताऊँ ही नहीं इसलिए मुझे उन से मिलने भी नहीं दिया गया। हिन्दुओं की आवाज़ इस प्रकार से भारतभर में दबाई जा रही है। एक समुदाय के मतों के लिए देशभक्तों पर हिन्दुओं पर अन्याय कर देश की सुरक्षा खतरे में डाली जा रही है। देश सब देख समझ रहा है। शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक रीति से अपने मतों के द्वारा भारत ऐसे अन्यायों का उत्तर अवश्य देगा। “