शिक्षा व विकास मॉडल भारतीय चिंतन के आधार पर हो – दत्तात्रेय होसबले
नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी ने कहा कि संघ की समन्वय बैठक में विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई, विचार-अनुभवों का आदान प्रदान हुआ. समाज जीवन में कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं ने अपने अनुभव रखे, लोगों से मिले इनपुट दिए. इसी प्रकार राजनीतिक क्षेत्र में कार्य कर रहे संघ के स्वयंसेवक, देश की बागडोर संभाल रहे स्वयंसेवकों ने भी अपने अनुभव बताए कि कार्य कैसा चल रहा है, कैसा हो सकता है. यह स्वाभाविक प्रक्रिया है. उन्होंने कहा कि समन्वय चिंतन बैठक निर्णय लेने वाली बैठक नहीं है, न ही बैठक में सरकार की समीक्षा की गई. केवल विचारों, अनुभवों का आदान प्रदान हुआ. 14 माह के कार्यकाल में सरकार की दिशा सही है, लगन है, प्रतिबद्धता है, जनता में विश्वास उत्पन्न हुआ है, तो पूरा विश्वास है कि सही दिशा में आगे बढ़ेगा. देश में शासन सत्ता का महत्व है, इसे संघ भी मानता है, लेकिन देश में शासन किसका है, इससे संघ का कार्य नहीं चलता. संघ समाज की ताकत के आधार पर कार्य करता है.
सह सरकार्यवाह नई दिल्ली में समन्वय बैठक के तीसरे दिन प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि संघ ने सरकार को कोई एजेंडा नहीं दिया है, न ही रिमोट कंट्रोल जैसी कोई बात है, सरकार जनता द्वारा प्रदत्त एजेंडे पर कार्य कर रही है. कांग्रेस द्वारा रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाने के आरोपों पर कहा कि कांग्रेस क्या कहती है, संघ इस पर टिप्पणी नहीं करेगा. पर, रिमोट कंट्रोल से चलने वालों को सवाल उठाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक देश के नागरिक हैं, संघ कोई गैर कानूनी संस्था नहीं है, सरकार के मंत्री जैसे अन्य स्थानों, कार्यक्रमों, समूहों, प्रेस वार्ता में अपनी बात रखते हैं, वैसे ही बात रखी. कहीं कोई गोपनीयता, नियम का उल्लंघन नहीं हुआ. मामले को बेवजह तूल दिया जा रहा है. बैठक काफी लाभकारी रही है, विभिन्न विषयों पर बैठक में चर्चा हुई.
दत्तात्रेय जी ने कहा कि आर्थिक विकास के समस्त मॉडल फेल हो चुके हैं, इसलिए बैठक में भारतीय विचार, चिंतन के आधार पर युगानुकूल मॉडल विकसित करने पर चर्चा हुई. जिससे आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण भी हो. कमाई, पढ़ाई, दवाई के लिए ग्रामीण गांव से शहर की तरफ भाग रहे हैं, गांव के अंदर यह सुविधाएं उपलब्ध हों, इसे लेकर ग्राम विकास के अनुभवों का आदान प्रदान हुआ. देश में शिक्षा का भारतीयकरण हो, आधुनिकता को भी शामिल किया जाए, देश में शिक्षा के दायरे से कोई बाहर न रहे, साक्षरता दर को आने वाले वर्षों में 100 प्रतिशत तक कैसे पहुंचाया जाए, शिक्षा महंगी न हो, व्यावसायीकरण पर रोक लगे, तथा इसमें समाज, सामाजिक संस्थाओं की भी भागदारी हो, इसे लेकर चर्चा हुई. समाज का कमजोर दुर्बल वर्ग स्वाभिमानी हो, सभी की रोटी, कपड़ा, मकान की आवश्यकता पूरी हो, इसके लिए योजना बने, सेवा क्षेत्र में स्वयंसेवकों ने अपने कार्य अनुभव बताए, सरकार कैसे कर सकती है, इस विषय पर चर्चा हुई. हालांकि सभी को 100 प्रतिशत संतुष्ट करना संभव नहीं. उन्होंने बताया कि देश के सांस्कृतिक –ऐतिहासिक महत्व के स्थानों पर रखरखाव सही ढंग से हो, इस पर चर्चा हुई, जिससे विदेश से आने वाले पर्यटकों में सही संदेश जाए. उन्होंने कहा कि देश की आंतरिक-बाह्य सुरक्षा के मामले पर भी चर्चा हुई, संघ का स्वयंसेवक कार्यकर्ता विषय पर जागरूक रहता है, सरकार भी तंत्र को मजबूत करने के लिए शीघ्र कदम उठाए, समाज को भी जागरूक करने को लेकर भी चर्चा हुई.
उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश हमसे ही कटकर अलग हुए हैं, हमारे भाई हैं. ऐसे सार्क देशों से संबंध अच्छे हों, सांस्कृतिक संबंध भी अच्छे हों. पाक के रवैये पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कौरव और पांडव भी भाई थे, लेकिन धर्म की संस्थापना के लिए कुछ भी करना पड़ता है. राम मंदिर के विषय पर कहा कि संघ कोई कार्यक्रम तय नहीं करता है, संत धर्माचार्य, धर्म संसद ने निर्णय लिया है, संघ उसके अनुसार ही कार्य करता है, संघ का मानना है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण देश की आस्था, जनभावनाओं का केंद्र है. मामला वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है तथा सरकार अपने अनुसार सकारात्मक कार्य करेगी, ऐसा मानना है. धर्म आधारित जनगणना पर कहा कि आंकड़ों का अध्ययन नहीं किया है, विषय आया था जिस पर कार्यकर्ताओं की एक टीम बनाई गई है. कार्यकर्ता जनगणना आंकड़ों का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करेंगे, जिसे रांची में होने वाली कार्यकारी मंडल की बैठक में चर्चा के लिए रखा जाएगा.
संघ की समन्वय बैठक 2 सितंबर से मध्यांचल भवन में शुरू हुई थी, जिसमें विभिन्न 15 संगठनों के 93 प्रमुख कार्यकर्ता तीन दिन तक उपस्थित रहे. 04 सितंबर को अंतिम दिन बैठक के अंतिम सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित रहे.