परमपूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत का नववर्ष शुभकामना सन्देश

नमस्कार! सभी को नववर्ष की शुभकामनायें. हम सब लोग जानते हैं कि, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का यह दिन हमारी मान्यताओं के अनुसार सृष्टि के प्रारम्भ का दिवस है, शालिवाहन के विजय का दिवस है और हमारे परमपूज्य संघ निर्माता के जन्म का दिवस है. हमारी परम्परा में इसको संकल्प का दिवस माना जाता है, क्योंकि किसी भी परिवर्तन के लिये तीन बातों की आवश्यकता होती है. एक बात होती है दृढ़ संकल्प, दूसरी बात होती है कि उस संकल्प को अपने जीवन का एकमात्र लक्ष्य मानकर उसके लिये संपूर्ण समर्पण करने की सिद्धता और तीसरी बात होती है, उस अपने भव्य लक्ष्य-संकल्प के अनुसार अपने स्वयं के जीवन में जो अनुकूल है, उसको बढ़ाते हुए, जो प्रतिकूल है उसको निकालते हुए अपने जीवन को उस ध्येय के योग्य बनाना.

हमारे परमपूज्य संघ निर्माता के जीवन में ये सारी बातें हमको दिखाई देती हैं. उनके हाथ से गढ़े गए संघ के हमारे पहली पीढ़ी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के जीवन में भी इसके सब उदाहरण हमको मिलते हैं. हम अपने देश को, अपने राष्ट्र को परमवैभव संपन्न बनाना चाहते हैं. सम्पूर्ण दुनिया में सुख, शान्ति, सौहार्द का वातावरण तैयार हो और ‘वसुधैवकुटुम्बकम’ की भावना के आधार पर सम्पूर्ण विश्व अपना खोया हुआ संतुलन पुनः प्राप्त करके धर्म की राह पर चले, यह हम चाहते हैं. उसके लिये परिश्रम करने वाले हम लोग हैं. हम लोगों को ये ध्यान में रखना पड़ेगा कि हम लोग इस संकल्प को अपने जीवन का संकल्प बनाते हैं. उसके प्रति अपनी सारी शक्तियों का समर्पण कर सकते हैं और उस संकल्प के अनुसार अपने जीवन में गुणों का वर्धन और दोषों का निर्दालन (परिमार्जन) इस प्रक्रिया को सतत करते रहते हैं. तो बहुत शीघ्र हमारे परिश्रम से ये सारी बातें अपने देश में और दुनिया में साकार हो सकती है. ऐसा वातावरण सौभाग्य से आज हमको मिला है.

आज अपने देश में चुनाव का भी वातावरण है. सामान्य लोग मानते है कि चुनाव में परिवर्तन होने से बाकी सब परिवर्तन होते है. लेकिन इतिहास की कसौटी पर ये बात खरी नहीं उतरतीं. चुनाव परिवर्तन, परिवर्तन का एक बहुत छोटासा भाग है. वह आवश्यक रहता है और सहायक भी होता है, परन्तु असली कार्य तो समाज में वातावरण और समाज का आचरण, उसका परिवर्तन, वही होता है. और इसलिये तात्कालिक ऐसे मोर्चों पर योग्य रीति से लड़ाई लड़ते हुए भी हम सब लोगों को, सम्पूर्ण विश्व को धर्म का खोया हुआ संतुलन वापस करा सकने वाला, नई सुखी, सुन्दर दुनिया का निर्माण कर सकने वाला, विश्वगुरु भारत खड़ा करने का अपना जो भव्य लक्ष्य है, उस लक्ष्य को मन में रखते हुए, इन तीनों बातों, दृढ़ संकल्प, संकल्प के प्रति पूर्ण समर्पण और अपने गुणों का वर्धन, दोषों का निर्दालन (परिमार्जन). इन बातों की ओर ध्यान देने का पूर्ण संकल्प करते हुए इस नववर्ष को मनाना चाहिये. फिर एक बार आप सबको नववर्ष की शुभकामना देता हूं.

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