Vishwa Sangh Shibir 2015-2

Indore December 30: Rashtriya Swayamsevak Sangh inspired 5-Day conference of Swayamsevaks from different foreign countries VISHWA SANGH SHIBIR-2015 was jointly inaugurated on Tuesday by Loksabha speaker Sumitra Mahajan along with RSS Sarakaryavah Bhaiyyaji Joshi.

Vishwa Sangh Shibir 2015-2
Vishwa Sangh Shibir 2015-2

A total of nearly 750 delegate Swayamsevaks from nearly 45 countries are participating in this 5-day conclave which will conclude on January 2, in which RSS Sarasanghachalak Mohan Bhagwat will address.

Vishwa Sangh Shibir 2015

इंदौर . राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विश्व के अन्य देशों में कार्यरत शाखा हिन्दू स्वयंसेवक संघ के पांच दिवसीय विश्व संघ शिविर-2015 का शुभारंभ 29 दिसंबर को इंदौर के एमरल्ड हाइट्स इंटरनेशनल में हुआ. शिविर का शुभारंभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भय्या जी जोशी तथा लोकसभा अध्यक्षा सुमित्रा महाजन ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया. विश्व संघ शिविर में विश्व के 45 देशों से 750 शिविरार्थी भाग ले रहे हैं.

शुभारंभ अवसर पर सरकार्यवाह सुरेश भय्या जी जोशी ने कहा कि हम में से कई कार्यकर्ता भारत में पहली बार आए हैं, किन्तु रक्त, मन, मस्तिष्क में स्थापित विचार कभी दुर्बल नहीं होते. भिन्न प्रकार का चिन्तन लेकर हम विश्व में खड़े हैं. हमने विश्व को एक परिवार माना है. हम विश्व को अपने चिन्तन से प्रभावित करना चाहते हैं. हिन्दू जगे तो विश्व जगेगा. विश्व में सभी संघर्षों को समाप्त करने हेतु चिन्तन हिन्दू समाज ही दे सकता है. हम हिन्दू हैं, यह अहंकार नहीं, स्वाभिमान है. विश्व तभी जगेगा, जब हिन्दू जगेगा. हमारा (हिन्दू समाज) जगना प्रारंभ हुआ है, विश्व भी जगेगा, यह हमारा विश्वास है. इसी में मानव जीवन की स्वतंत्रता की गारंटी है. विश्व का जगना, मनुष्य का जगना है.

उन्होंने कहा कि हमने देवासुर संग्राम देखा है. सत्य के साथ असत्य, न्याय के साथ अन्याय, धर्म के साथ अधर्म, तथा देवों के साथ असुर संग्राम हुआ है. जिसमें हमेशा सत्य, न्याय, धर्म व देवों की विजय ही हुई है. यह तत्वज्ञान बहुमत से सिद्ध नहीं किया जा सकता. यह विश्व कल्याण का मार्ग है, शान्ति का मार्ग है. हिन्दुत्व का तत्वज्ञान भारतीय मनीषियों ने रखा है, यह स्नेह से ही प्राप्त किया जा सकता है. हम इस संस्कृति के प्रतिनिधि हैं.

सरकार्यवाह जी ने कहा कि बलिदान से अधिक त्याग का महत्व है. आद्य सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार जी ने कहा है कि देश समाज के लिये मरने नहीं, जीने वाले लोग चाहिए. यह अहंकार नहीं सिद्धांत की भाषा है. इसे स्वयं से आरंभ करना है, और वयं (हम सब) तक जाना है. हम भारतीय संस्कृति के प्रतिनिधि हैं, हमें स्वयं से ही प्रारंभ करना होगा. हम जगेंगे, तो विश्व भी उस मार्ग पर चलेगा. भारत से हजारों लोग विश्व के अनेक देशों में गए, हम किसी को हराने या लूटने नहीं गए. भारत में देने की परंपरा है, लेने की नहीं. हम शास्त्र व मूल्य लेकर गए, शस्त्र नहीं. भारतीय चिन्तन हराने में नहीं, मन जीतने में विश्वास रखता है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या हिन्दू स्वयंसेवक संघ का कार्य इस यात्रा का दर्शन करवाना है. उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी को उद्घृत करते हुए कहा कि धर्म, कर्तव्य, मूल्य भारत में समाप्त हो जाएंगे तो विश्व में कहीं भी देखने को नहीं मिलेंगे. हम मानवीय दृष्टिकोण से कार्य करें, भविष्य के स्वप्न को हमें साकार करना है.

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्षा सुमित्रा महाजन जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति और हमारे संस्कारों के सच्चे राजदूत विश्व में फैले हुए भारतीय ही हैं. जो भारत की विरासत को इतने वर्षों से विश्व में फैलाने का कार्य कर रहे हैं. हमारे मानबिन्दु संपूर्ण विश्व को जीवन जीवन दर्शन देते हैं. जैसे भारतीय संस्कृति के अनुसार हम पेड़-पौधों की पूजा, पक्षियों को दाना देने आदि का कार्य करते हैं. ये संस्कार आधारित जीवन दर्शन है. हम संपूर्ण जीव जगत को अपने परिवार का सदस्य मानते हैं. हम सभी भारतीय संस्कृति के राजदूत हैं. आज विश्व के कई देशों में दीपावली, गणेश उत्सव आदि त्यौहार बड़े पैमाने पर उत्साह से मनाए जाते हैं. भारतीय जिस देश में भी गए, बड़े भवन संपत्ति के स्थान पर उन्होंने मंदिर बनाने को प्राथमिकता दी. संपूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति का प्रसार किया.

कार्यक्रम के दौरान स्मारिका तथा ध्वनि चित्र मुद्रिका का विमोचन भी अतिथियों ने किया. हिन्दू स्वयंसेवक संघ के संयोजक सौमित्र गोखले जी ने विश्व में संघ द्वारा किए जा रहे कार्यों का वृत्त प्रस्तुत किया. स्मारिका के संपादक डॉ. सुब्रतो गुहा ने प्रस्तावना, धात्री त्रिपाठी ने गणेश वंदना प्रस्तुत की. कार्यक्रम का संचालन केन्या की अनिता पटेल ने किया. अतिथियों के स्वागत के साथ ही परिचय शिविर कार्यवाह डॉ. मुकेश मोढ़ ने करवाया.

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