Vrindavan April 5, 2013: RSS Sarasanghachalak Mohan Bhagwat visited historic Banko Bihari Mandir of Vrindavan this morning, offered prayers. Bhagwat is in Vrindavan to attend a major meet of Vishwa Vibhag, an RSS initiative to unite Overseas Indians. Mohan Bhagwat was accompanied by RSS, VHP leaders.

Bhagwat at Vrindavan April-5-2013

 

वृंदावन। मैं कुछ नहीं बोलूंगा, प्रभु के दर्शन करने आया हूं। यह कहते हुए अपनी चिर-परिचित मुस्कान के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघ चालक मोहन भागवत बांकेबिहारी मंदिर में प्रवेश कर गए। वीआइपी स्थल से उन्होंने भगवान के दर्शन किये।

सुबह ठीक आठ बजे आरएसएस प्रमुख बांकेबिहारी मंदिर पहुंचे। उनके साथ संघ के पूर्व वरिष्ठ पदाधिकारी रामलाल, विहिप निदेशक के अलावा अन्य प्रांतों से आए प्रतिनिधि भी थे। मंदिर के गोस्वामियों ने पटुका, माला और रंगीन पीला दुपट्टा पहनाकर उनका स्वागत किया। करीब दस मिनट तक वह भावविभोर होकर हाथ जोड़कर आराधना करते रहे। इस दौरान उन्होंने पुजारी को अपने माथे पर चंदन लगाने का इशारा किया। भीड़ के शोरगुल के बीच पुजारी ने उन्हें बताया कि चंदन पूजा

स्थल से थोड़ी दूरी पर लगाया जाएगा।

इसके बाद दर्शन स्थल से वीआइपी गेट से बाहर आ गए। स्वयं सेवक बच्चू सिंह ने मंदिर के पुजारी की ओर इशारा कर चंदन लगाने के लिए कहा। श्री भागवत ने झुककर माथे पर चंदन लगवाया और मंदिर से बाहर निकल पड़े। इस दौरान कुछ पत्रकारों ने उन्हें वार्ता के लिए घेर लिया। पर वह कुछ बोले नहीं और मुस्कुराते हुए कार में बैठकर वापस केशवधाम लौट गए।

हालांकि जाते-जाते उनके मुंह से बरबस निकल पड़ा, हिंदुत्व की रक्षा होनी ही चाहिए। उधर, केशवधाम में शुक्रवार सुबह आरएसएस विश्व विभाग की बैठक को भागवत ने संबोधित किया। हिंदुत्व की रक्षा, विकास और नई पीढ़ी में भारतीय संस्कृति के बीज बोने की बात उन्होंने कही।

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